किसी शायर ने क्या खूब कहा है-
'रिमझिम तो है..
मगर सावन गायब है..!
बच्चे तो हैं..
मगर बचपन गायब है..!!
क्या हो गयी है
तासीर ज़माने की
अपने तो हैं..
मगर अपनापन गायब है..!!!
'रिमझिम तो है..
मगर सावन गायब है..!
बच्चे तो हैं..
मगर बचपन गायब है..!!
क्या हो गयी है
तासीर ज़माने की
अपने तो हैं..
मगर अपनापन गायब है..!!!
No comments:
Post a Comment